Osmania University से स्नातक की डिग्री तत्पश्चात Andhra University से अर्थशास्त्र से M.A. की डिग्री हासिल कर डा. पी रामचन्द्र राव के साथ सन १९६६ में परिणय सूत्र में बंधी। मन में भावनाओं का ज्वार भाटा उठता तो था किंतु दैनिक जीवन के समुंदर में खोता रहा। नून तेल लकड़ी के चक्कर में पन्नों को रंगने की नौबत ही नहीं आई। इन पन्नों को स्याही में डुबाने का कार्यक्रम बहुत देर बाद आरम्भ हुआ। घर बार संवारने, बच्चों को लायक बनाने में जीवन व्यस्त हो गया। बैंक में कार्यरत रह २०-२१ साल की अवधि भी हवाई जहाज के रफ्तार सी निकल गई। अवकाश प्राप्ति के बाद कुछ वर्ष नाती नातिन के लिये अर्पण हो गये। पति महोदय तो अपने पठन पाठन व अनुस़न्धान में रत रहते बाद में निर्देशक, व कुलपति (B.H.U., वाराणसी व D.I.A.T. पूणे) के कार्यभार सम्हालने में व्यस्त हो गये।उन्हीं एकांत व फुरसत के कुछ पलों में विचारों के बादल उमड़ने लगे और उनकी फुहार से कुछ पन्ने रंग गये।पति के अवकाश प्राप्ति के बाद अपना घोसला बनाने उसे सजाने स़ंवारने में फिर २-३ वर्ष पर लगा कर उड़ गये। जब सोचा कुछ लिखना पढ़ना चाहिये ऊपरवाले ने ऐसा आघात दिया कि कुछ क्षणों में उसने मेरी दुनिया वीरान कर दी। मेरा जीवन, मेरा सहचर सब कुछ मुझसे छीन लिया। पता नहीं यह गम झेल पाउंगी भी या नहीं, पर इस दुःख की अनवरत धारा से, अश्रुपूरित नेत्रों से कुछ पन्ने ज़रूर ऱंग गये।
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